गाँव का अस्तित्व और पलायन 

विवेक रंजन श्रीवास्तव

 दुनिया में हमारे गांवो की विशिष्ट पहचान यहां की आत्मीयता,सचाई और प्रेम है .

विकास का अर्थ आर्थिक उन्नति से ही लगाया जाता है . हमारे गाँवो का ऐसा विकास होना चाहिये कि आर्थिक उन्नति तो हो किन्तु हमारे ग्रामवासियों के ये जो नैतिक और चारित्रिक गुण हैं , वे बने रहें . गांवो के आर्थिक विकास के लिये कृषि तथा मानवीय श्रम दो प्रमुख साधन प्रचुरता में हैं . इन्हीं दोनो से उत्पादन में वृद्धि व विकास संभव है . उत्पादकता बढ़ाने के लिये बौद्धिक आधार आवश्यक है  जो अच्छी शिक्षा से ही संभव है .

आज वांछित सुविधाओं के अभाव में गांव व्यापक रूप से पलायन का दर्द झेल रहे हैं। किसान बड़े बड़े खेत बेचकर शहर में फ्लैट में रह रहे  हैं. नई पीढ़ी खुद के खेत में मेहनत कर अनिश्चित आमदनी की अपेक्षा , शहर में किसी की नौकरी करके बंधी हुई तनख्वाह में गुजारा करना चाह रही  है। छठ पूजा , ग्रीष्म अवकाश , दीपावली या अन्य त्यौहारों पर महानगरों से गांवों की ओर भागती भीड़ बताती है कि अभी भी लोगों की जड़े गांवों में ही हैं और यदि गांवों का समुचित विकास नीतिगत रूप से किया जाए तो वर्तमान पलायन रुक सकता है।

 पुस्तकीय ज्ञान व तकनीक , शिक्षा के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं . ग्राम विकास के लिये तकनीकी शिक्षा के साथ साथ चरित्रवान व्यक्ति बनाने वाली शिक्षा दी जानी चाहिये . वर्तमान स्वरूप में शिक्षित व्यक्ति में शारीरिक श्रम से बचने की प्रवृत्ति भी स्वतः विकसित हो जाती है . यही कारण है कि किंचित भी शिक्षित युवा शहरो की ओर पलायन कर रहा है . आज ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो सुशिक्षित बनाये पर व्यक्ति शारीरिक श्रम करने से न हिचके.

स्थानीय परिस्थितियो के अनुरूप प्रत्येक ग्राम के विकास की अवधारणा भिन्न ही होगी  जिसे ग्राम सभा की मान्यता के द्वारा हर ग्रामवासी का उसका अपना कार्यक्रम बनाना होगा . 

गांव के विकास के लिए जहाँ भूमि उपजाऊ है वहां खेती, फलों फूलो बागवानी नर्सरी को बढ़ावा , व कृषि से जुड़े पशुपालन का विकास किया जाना चाहिए।

वन्य क्षेत्रो में वनो से प्राप्त उत्पादो से संबंधित योजनायें व कुटीर उद्योगो को और बढ़ावा दिया जाना जरूरी है।

शहरो से लगे हुये गांवो में शासकीय कार्यालयो में से कुछ गांव में प्रारंभ किये जाने चाहिए  जिससे शहर गांवों की ओर जाए तथा शहरो व गांवो का सामंजस्य बढ़े ।

पर्यटन क्षेत्रो से लगे गाँवो में पर्यटको के लिये ग्रामीण आतिथ्य की सुविधा सुलभ करवाना चाहिए ।

विशेष अवधारणा के साथ समूचे गांव को एक रूपता देकर विशिष्ट बनाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाए जिससे ग्रामीणों में गर्व की अनुभूति हो और पलायन रुके । उदाहरण स्वरूप जैसे जयपुर पिंक सिटी के रूप में मशहूर है , किसी गांव के सारे घर एक से बनाये जा सकते हैं , उन्हें एक रंग दिया जा सकता है और उसकी विशेष पहचान बनाई जा सकती है , वहां की सांस्कृतिक छटा के प्रति , ग्रामीण व्यंजनो के प्रति प्रचार के द्वारा लोगो का ध्यान खींचा जा सकता है . वहां के वैशिष्ट्य को रेखांकित किया जाना चाहिए।

कार्पोरेट ग्रुपों द्वारा गांवों में अपने कार्यालय खोलने पर उन्हें करों में छूट देकर कुछ गांवो की विकास योजनायें बनाई जा सकती हैं ।

इत्यादि अनेक प्रयोग संभव हैं,पर हर स्थिति में ग्राम संस्कृति का अपनापन , प्रेम व भाईचारे को अक्षुण्य बनाये रखते हुये , गांव से पलायन रोकते हुये गाँवो में सड़क ,बिजली ,संचार ,

स्वच्छ पेय जल , स्वास्थ्य सुविधाओ की उपलब्धता की सुनिश्चितता व स्थानीय भागीदारी से ही गांवो का सच्चा विकास संभव है. इन्हीं प्रयासों से गांवों का अस्तित्व बचा रहेगा और परोक्ष रूप से स्वतः ही गांवों से पलायन पर विराम लगेगा । 

 ग्रामीण जीवन को बेहतर और आत्मनिर्भर बनाने के लिए निम्न बिंदुओं पर कार्य हों 

1. रोजगार के अवसर बढ़ाना

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी पलायन का एक बड़ा कारण है। इसे रोकने के लिए:

– **छोटे उद्योग और कुटीर उद्योग**: गांवों में छोटे उद्योग, जैसे हस्तशिल्प या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, शुरू करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए।

– **कृषि-आधारित व्यवसाय**: दूध, शहद, या जैविक खेती जैसे व्यवसायों को बढ़ावा देना।

– **प्रशिक्षण केंद्र**: सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दे सकते हैं, ताकि वे स्थानीय स्तर पर रोजगार पा सके

2. कृषि को लाभकारी बनाना

कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन इसके लाभकारी न होने से लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं। इसके लिए:

– **उचित मूल्य**: किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित करना।

– **आधुनिक तकनीक**: ड्रिप इरिगेशन, बीज सुधार, और जैविक खेती जैसी तकनीकों को बढ़ावा देना।

– **बाजार पहुंच**: कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं के जरिए बाजार तक आसान पहुंच।

– **फसल बीमा और सब्सिडी**: प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की भरपाई के लिए बीमा और सब्सिडी प्रदान करना।

 3. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं

शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी भी पलायन का कारण है। इसे बेहतर करने के लिए:

– **शिक्षा**: गांवों में गुणवत्तापूर्ण स्कूल और कॉलेज स्थापित करना, ताकि बच्चों को शहर न जाना पड़े।

– **स्वास्थ्य**: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों का विकास, जिससे लोग इलाज के लिए शहरों पर निर्भर न रहें।

4. बुनियादी ढांचे का विकास

ग्रामीण जीवन को आकर्षक बनाने के लिए मूलभूत सुविधाएं जरूरी हैं:

– **सड़क और परिवहन**: बेहतर सड़कें गांवों को बाजार और शहरों से जोड़ेंगी।

– **बिजली और पानी**: नियमित बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति।

– **इंटरनेट**: डिजिटल कनेक्टिविटी से लोग घर बैठे ऑनलाइन काम कर सकेंगे।

5. स्वरोजगार और स्टार्टअप को बढ़ावा

ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए:

– **ऋण और मेंटरशिप**: छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए सस्ते ऋण और विशेषज्ञ मार्गदर्शन।

– **संभावित क्षेत्र**: हस्तशिल्प, जैविक खेती, या ग्रामीण पर्यटन जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप को प्रोत्साहन।

6. सामुदायिक भागीदारी

ग्रामीण विकास में समुदाय की भूमिका अहम है:

– **ग्राम पंचायतों को सशक्त करना**: स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाना।

– **जुड़ाव बढ़ाना**: लोगों को अपने गांव की प्रगति में भागीदार बनाना, जिससे उनका भावनात्मक लगाव बना रहे।

7. पर्यावरण और पर्यटन का विकास

गांवों की प्राकृतिक सुंदरता को आय का स्रोत बनाया जा सकता है:

– **ग्रामीण पर्यटन**: प्राकृतिक स्थलों, संस्कृति, और परंपराओं को बढ़ावा देकर पर्यटकों को आकर्षित करना।

– **हरित गांव**: पर्यावरण संरक्षण से गांवों को स्वच्छ और आकर्षक बनाना।

सहयोग की आवश्यकता

इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए **सरकार**, **गैर-सरकारी संगठन (NGO)**, और **ग्रामीण समुदाय** के बीच मजबूत सहयोग जरूरी है। सरकार नीतियां और संसाधन प्रदान कर सकती है, NGO तकनीकी सहायता और जागरूकता बढ़ा सकते हैं, और समुदाय स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन में योगदान दे सकता है।

जब गांवों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी, साथ ही लोग आत्मनिर्भर बनेंगे, तो पलायन स्वाभाविक रूप से कम होगा। ये उपाय न केवल ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेंगे। शहरी सेवा पूरी कर लोगों को वापस गांवों में बसने वाला वातावरण बनेगा । नारा होना चाहिए ” गांव को वापस ” ।

विवेक रंजन श्रीवास्तव

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