विविधा अपनों के विरूद्ध September 16, 2012 / September 15, 2012 by हिमकर श्याम | Leave a Comment हिमकर श्याम अपनों के विरूद्ध हो रही है लामबंदी बारूदी गंध घुल रही फिजाओं में अवसाद भरा कोरस गूंज रहा हवाओं में हो रही है हदबंदी फिर दिलों के बीच अपनों के विरुद्ध ले कर हथियार सब हैं तैयार सड़कों पर, चौराहों पर पिस रही हजारों मासूम जिंदगियां झुलस रही संवेदनाएं बह रहे […] Read more » poem by himkar shyam अपनों के विरूद्ध