कविता आदमी बदल रहा है December 8, 2014 by डॉ नन्द लाल भारती | Leave a Comment देखो आदमी बदल रहा है , आज खुद को छल रहा है, अपनो से बेगाना हो रहा है , मतलब को गले लगा रह है , देखो आदमी बदल रहा है ………… औरो के सुख से सुलग रहा है , गैर के आंसू पर हस रहा है, आदमी आदमियत से दूर जा रहा है देखो […] Read more » आदमी बदल रहा है