कविता कलाइयों पर ज़ोर देकर ? April 11, 2021 / April 11, 2021 by मंजुल सिंह | Leave a Comment लोगइतने सारे लोगजैसे लगा होलोगो का बाजारजहां ख़रीदे और बेचेजाते है लोगकुछ बेबस,कुछ लाचारलेकिन सब हैहिंसक, जो चीखना चाहते हैज़ोर से, लेकिनभींच लेते है अपनीमुट्ठियां कलाइयों पर ज़ोर देकरताकि कोईदेख न सकेबस मेहसूस कर सकेहिंसा कोजो चल रही हैलोगो कीलोगो के बीच, मेंलोगो से? एक हिंसा तय हैलोगो के बीचजो खत्म कर रही हैकिसी तंत्र […] Read more » कलाइयों पर ज़ोर देकर ?