कविता कविता:खिलौना-श्यामल सुमन May 27, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता:खिलौना-श्यामल सुमन देख के नए खिलौने, खुश हो जाता था बचपन में। बना खिलौना आज देखिये, अपने ही जीवन में।। चाभी से गुड़िया चलती थी, बिन चाभी अब मैं चलता। भाव खुशी के न हो फिर भी, मुस्काकर सबको छलता।। सभी काम का समय बँटा है, अपने खातिर समय कहाँ। रिश्ते नाते संबंधों के, बुनते हैं […] Read more » poem by shyamal suman poem khilauna by shyamal suman कविता:खिलौना कविता:खिलौना-श्यामल सुमन कविता:श्यामल सुमन
कविता कविता:संवाद-श्यामल सुमन May 26, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment काम कितना कठिन है जरा सोचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। गीत जिनके लिए रोज लिखता मगर। बात उन तक न पहुँचे तो कटता जिगर। कैसे संवाद हो साथ जन से मेरा, जिन्दगी बीत जाती न मिलती डगर। बन के तोता फिर गीता को क्यों बाँचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। […] Read more » kavita by shyamal suman poem samvd by shyamal suman कविता:श्यामल सुमन कविता:संवाद कविता:संवाद-श्यामल सुमन