कविता कविता – अगली सदी-मोतीलाल May 19, 2012 / May 19, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment बहुत संभव है चक्कियोँ के पाट से कोई लाल पगडंडी निकल आये और आँसूओँ के सागरोँ पर कोई बादल उमड़ता चला जाये गिरते पानी मेँ कदमोँ की आहट प्रायद्वीप बनने से रहे बहुत संभव है कोहनियोँ पे टिका जमीन पानी मेँ घुले ही नहीँ और बना ले प्रकृति की सबसे सुन्दर आकृति इन […] Read more » poem by motilal poem-agli sadi by motilal कविता - अगली सदी कविता - अगली सदी-मोतीलाल मोतीलाल