कविता कविता – अवशेष November 3, 2012 / November 3, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल आग जब सबकुछ जला देगी कुछ तिलिस्म जिंदगी भर के वास्ते धुंधला जाने के लिए उम्मीद को छोड़ कर कहीं से भी चलकर निरर्थक परिक्रमा नहीं करेगी । तय शुदा सुरक्षा के अर्थ जब बंद हो जाएंगें सूरज के साथ-साथ हम मध्यांतर के उल्लास सा अर्थपूर्ण यात्रा की दुआ लेते हुए मोक्ष की […] Read more » कविता - अवशेष