कहानी कविता: आकाश. समुद्र और हम-मोतीलाल July 4, 2012 / July 4, 2012 by मोतीलाल | 1 Comment on कविता: आकाश. समुद्र और हम-मोतीलाल जब तैरता है आकाश का नीलापन सागर के अंतस मेँ तब विचरने की प्रक्रिया आकाश से समुद्र तक या फिर समुद्र से आकाश तक मछलियोँ की तैरने सा या तारोँ के उगने सा समय के अंतराल को पार करता हुआ और खंडित होने से बचता हुआ हममे आकर टिक जाता है यह सच है […] Read more » आकाश. समुद्र और हम-मोतीलाल कविता: आकाश. समुद्र और हम