कविता कविता – संभावनाएं August 22, 2012 / August 22, 2012 by मोतीलाल | 1 Comment on कविता – संभावनाएं मोतीलाल मेरे लिए उभरती है घाटी नीले फूलोँ वाली मेरे लिए सुलभ होता है छूना लाल पत्ते वाले पेड़ोँ को और पी जाती हूँ कड़वे धुँएं को मेरे लिए कुछ होना जंगली फूल सा है गंध के बहकावे मेँ रौँदा जाता है संवेदनाओँ के जहर को और नहीँ ठहरती है ओस मेरी आँखोँ मेँ […] Read more » poem by motilal कविता – संभावनाएं