व्यंग्य साहित्य काले धंधों की सफेदी…!! February 15, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बचपन में सुस्वादु भोजन की लालच में ऐसे कई आयोजनों में चले जाना होता था, जहां पेट भरने के बजाय उलटे जलालत झेलनी पड़ती थी। हालांकि इसके विपरीत अनुभव भी जीवन में होते रहे।मनमाफिक मेनू की क्षीण संभावना वाले अनेक आयोजनों में यह सोच कर गया कि बस लिफाफा थमा कर निकल […] Read more » काले धंधों की सफेदी...!!