आलोचना काव्यपाठ और राजनीति – दीपक चौरसिया ‘मशाल’ April 18, 2009 / December 25, 2011 by दीपक चौरसिया ‘मशाल’ | 5 Comments on काव्यपाठ और राजनीति – दीपक चौरसिया ‘मशाल’ " ऐसी रचनाएँ तो सालों में, हजारों रचनाओं में से एक निकल के आती है. मेरी तो आँख भर आई" "ये ऐसी वैसी नहीं बल्कि आपको सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी वर्मा जी की श्रेणी में पहुँचाने वाली कृति है" Read more » politics काव्यपाठ राजनीति