कविता किस्मत से जंग July 18, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- किस्मत के साथ मेरी, चल रही इक जंग है, न कोई हथियार है, न कोई संग है। कभी भारी पलड़ा उसका तो कभी मेरा रहा, उसके दिए रह चोट का दर्द तो मैने सहा। तोड़ना वो चाहती मुझको, कर के अपने तो सितम, उसके हर वार को सहने का तो मुझमें है तो […] Read more » किस्मत कविता किस्मत से जंग