व्यंग्य कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच February 3, 2022 / February 3, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बाप के कपड़े उतर गए,बेटी को कपड़े पहनाने में।बेटी के कपड़े उतर गए,फॉलोअर्स को बढ़ाने में।। बाप बेचारा थक गया,रोटी दाल कमाने में।बेटा अभी थका नही,मस्ती मौज मनाने में।। बाप गर्मी में जलता है,मां चूल्हे में जलती है।तब कही मुश्किल सेघर की रोटी चलती है।। बाप तन ना ढक पाया,बेचारा मर गया सर्दी में।बच्चे ए […] Read more » Absolutely true on some sarcasm कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच