गजल गज़ल:रिश्तों में प्यार का व्यापार नहीं होता– सत्येंद्र गुप्ता May 13, 2012 / May 13, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | 1 Comment on गज़ल:रिश्तों में प्यार का व्यापार नहीं होता– सत्येंद्र गुप्ता रिश्तों में प्यार का व्यापार नहीं होता तराजू से तौलकर भी तो प्यार नहीं होता। दिल की ज़ागीर को मैं कैसे लुटा दूं हर कोई चाहत का हक़दार नहीं होता। उजाड़ शब की तन्हाई का आलम न पूछिए मरने का तब भी तो इंतज़ार नहीं होता। चमकते थे दरो-दीवार कभी मेरे घर के भी अब […] Read more » gazal by satendra gupta गज़ल:रिश्तों में प्यार का व्यापार नहीं होता– सत्येंद्र गुप्ता