व्यंग्य साहित्य गम खा – खूब गा…!! December 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा कड़की के दिनों में मिठाई खाने की तीव्र इच्छा होने पर मैं चाय की फीकी चुस्कियां लेते हुए मिठाई की ओर निहारता रहता हूं। इससे मुझे लगता है मानो मेरे गले के नीचे चाय के घुंट नहीं बल्कि तर मिठाई उतर रही है।धन्ना सेठों के भोज में जीमने से ज्यादा आनंद […] Read more » गम खा - खूब गा...!!