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Tag: गुलाब

गजल

कमी है परवरिश में इसलिए मनद्वार ऐसे हैं,

May 14, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment

कमी है परवरिश में इसलिए मनद्वार ऐसे हैं, नई कलियाँ मसलते हैं, कई किरदार ऐसे हैं। नहीं जलते वहाँ चूल्हे, यहाँ पकवान हैं ताजा, हमारी भी सियासत के नए हथियार ऐसे हैं। हकीकत जान पाए ना, वहम से ही शिला तोड़ी, यहाँ अच्छे भले से लोग कुछ बीमार ऐसे हैं। सिसक होगी ज़रा सी बस […]

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गुलाब चाँद धर्म पुरुष कुंठा बादशाह सिकन्दर महफ़िल शक्ल
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