कविता साहित्य चिन्गारी भर दे मन में September 9, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment चिन्गारी भर दे मन में ऐसा गीत सुनाओ कविवर, खुद्दारी भर दे मन में। परिवर्तन लाने की खातिर, चिन्गारी भर दे मन में।। हम सब यारों देख रहे हैं, कैसे हैं हालात अभी? कदम कदम पर आमजनों को, मिलते हैं आघात अभी। हक की रखवाली करने को, आमलोग ने चुना जिसे, महलों में रहते क्या […] Read more » चिन्गारी भर दे मन में