कविता चूहे की सजा May 9, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- हाथीजी के न्यायालय में, एक मुकदमा आया। डाल हथकड़ी इक चूहे को, कोतवाल ले आया। बोला साहब इस चूहे ने, दस का नोट चुराया। किंतु रखा है कहां छुपाकर, अब तक नहीं बताया। सुबह शाम डंडे से मारा, पंखे से लटकाया। दिए बहुत झटके बिजली के, मुंह ना खुलवा पाया। चूहा बोला दया […] Read more » चूहा चूहे पर कविता