व्यंग्य जब सुतल तब अंधेरा – October 7, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” गुरू बनारस के बारे में एक बात बहुत मशहूर है कि ये मिजाज का शहर है। बेधड़क और बेबाक मिजाज ये है काशी की विशेषता । इस मिजाज में कई बार उलटबासियां भी जन्म ले लेती हैं । यथा कबीर बाबा की एक उलटबांसी लें लें — बरसे कंबल भींगे पानी […] Read more » जब सुतल तब अंधेरा -