कविता कविता-जातिवाद का नरपिशाच September 11, 2014 / September 12, 2014 by डॉ नन्द लाल भारती | Leave a Comment डॉ नन्द लाल भारती मै कोई पत्थर नहीं रखना चाहता इस धरती पर दोबारा लौटने की आस जगाने के लिए तुम्ही बताओ यार योग्यता और कर्म-पूजा के समर्पण पर खंजर चले बेदर्द आदमी दोयम दर्ज का हो गया जहां क्यों लौटना चाहूंगा वहाँ रिसते जख्म के दर्द का ,जहर पीने के लिए ज़िन्दगी के हर […] Read more » जातिवाद का नरपिशाच