कविता जिंदगी August 8, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- हो गया हूं मैं थोड़ा इस जिंदगी से निराश, पर कही जगी हुई है, मेरे अंदर थोड़ी आस। लाख कोशिशें कर ली मैंने, वक्त पर किसका जोर है, हाय तौबा मची जहां में, हर तरफ तो शोर है। वक्त का आलम है ऐसा, कर दिया जिसने मजबूर, खेला ऐसा खेल मुझसे, […] Read more » कविता जिंदगी जिंदगी कविता हिन्दी कविता