कविता
ज्योतिबा फुले: क्रांति की मशाल
/ by प्रियंका सौरभ
समर्पित—ज्योतिराव फूले, जिन्होंने समाज को आँखें दीं। -प्रियंका सौरभ धूप थी अज्ञान की, अंधकार था घना,उग आया फूले-सा एक सूर्य अनमना।ज्योति बनी वह वाणी, दीप बना विचार,टूटे पाखंडों के जाल, जागा हर परिवार। जन्मा वह खेतों में, पर मन था आकाश,शूद्र कहे गए जिन्हें, उनमें भर दी प्रकाश।पढ़ा स्वयं, फिर कहा – “सबको पढ़ना है”,न्याय […]
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