कविता
ढूंढते ही रह जाओगे
/ by आर के रस्तोगी
बातो में कुछ बाते,चीजों में कुछ चीजे,इक्कीसवीं सदी में,ढूंढते ही रह जाओगे। घरों में पुरानी खाट,तराजू के लिए बाट,स्कूलों में बोरी टाट,ठेलो पर अब चाट।ढूंढते ही रह जाओगे।। आंखो में अब पानी,कुएं का ताजा पानी।दादी की अब कहानी,राजा रानी की कहानी,ढूंढते ही रह जाओगे।। शादी में अब शहनाई,कुरते में अब तुरपाई।बड़ों की अब चतुराई,दूसरे के […]
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