कविता तुम, मेरी देवी-विजय निकोर November 22, 2012 / November 22, 2012 by विजय निकोर | 2 Comments on तुम, मेरी देवी-विजय निकोर भोर की अप्रतिम ओस में धुली निर्मल, निष्पाप प्रभात की हँसी-सी खिलखिला उठती, कभी दुपहर की उष्मा ओढ़े फिर पीली शाम-सी सरकती तुम्हारी याद रात के अन्धेरे में घुल जाती है । निद्राविहीन पहरों का प्रतिसारण करती अपने सारे रंग मुझमें निचोड़ जाती है, और एक और भोर के आते ही कुंकुम किरणों का घूँघट […] Read more » poem by vijay nior तुम तुम मेरी देवी-विजय निकोर मेरी देवी-विजय निकोर