कविता हर हाथ तिरंगा हो July 1, 2014 by श्यामल सुमन | Leave a Comment -श्यामल सुमन- ना कोई नंगा हो, ना तो भिखमंगा हो। चाहत कि रिश्ता आपसी घर में चंगा हो।। धरती पर आई, लेकर खुशियाली। सूखी मिट्टी में, भर दी हरियाली। चाहत कि पहले की तरह निर्मल सी गंगा हो। ना कोई नंगा हो— ये जात-धरम की बात, सम्बन्धों पे आघात। भाई से भाई क्यों, नित करता […] Read more » कविता देश कविता हर हाथ तिरंगा हो हिन्दी कविता