कविता रावण के मन की पीड़ा June 5, 2018 / June 5, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझे यू ना जला पाओगे तुम मुझे यू भुला ना पाओगे तुम मुझे हर साल जलाओगे मार कर भी तुम ना मार पाओगे जली लंका मेरी,जला मैं भी तुम भी एक दिन जला दिए जाओगे मैंने सीता हरी,हरि के लिये राक्षस कुल की बेहतरी के लिये मैंने प्रभु को रुलाया वन वन में तुम […] Read more » नगर में नारी नारी का मरण प्रभु को रुला राम से युद्ध रावण के मन की पीड़ा