कविता
उड़ान
by रवि श्रीवास्तव
-रवि श्रीवास्तव- एक दिन बैठकर मैं, बस यही सोचता था, किस तरह से उड़ते हैं पक्षी, क्या उनकी उड़ान है। गिरने का न डर है उनको, उनकी यह पहचान है, सोचते-सोचते आखिर, पहुंच गया उस दौर तक, पंख तो होते हैं उनके, पर उनके हौसलों में जान है। कभी यहां तो कभी वहां, क्या गज़ब […]
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