कविता परदेश और गाँव June 1, 2020 / June 1, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment अम्मा ने परदेश जाते समयसफ़र की भूख मिटाने को दिया थागुड़ की भेलियां, अचार की फारियां औरसाथ में भरपूर रोटियां ! ! घर से निकलते बोली थीं अम्माजरा , दही- गुड़ से मुँह झूठा कर लेबस ! यह कहते अम्मा की आँखेंबन गई थीं सावन- भादों की नदी ! ! किवाड़ की ओट से वह […] Read more » परदेश और गाँव