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Tag: पर्यावरण दोहे

कविता

विलासिता की चाह ने किया प्रकृति से दूर

June 5, 2014 by हिमकर श्‍याम | Leave a Comment

-हिमकर श्याम- -पर्यावरणीय दोहे- वायु, जल और यह धरा, प्रदूषण से ग्रस्त। जीना दूभर हो गया, हर प्राणी है त्रस्त।। नष्ट हो रही संपदा, दोहन है भरपूर। विलासिता की चाह ने, किया प्रकृति से दूर।। जहर उगलती मोटरें, कोलाहल चहुंओर। हरपल पीछा कर रहे, हल्ला गुल्ला शोर।। आंगन की तुलसी कहां, दिखे नहीं अब नीम। […]

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पर्यावरण दोहे प्रकृति विलासिता की चाह ने किया प्रकृति से दूर
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