कविता
पाक को ललकार
/ by आर के रस्तोगी
आरके रस्तोगी अंधों को दर्पण क्या देना, बहरों को भजन सुनाना क्या, जो रक्त पान करते उनको, गंगा का नीर पिलाना क्या, हमने जिनको दो आँखे दीं, वो हमको आँख दिखा बैठे, हम शांति यज्ञ में लगे रहे, वो श्वेत कबूतर खा बैठे, वो छल पे छल करता आया, हम अड़े रहे विश्वासों पर, कितने […]
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