कविता बच्चों का पन्ना पानी फेकें कम से कम October 17, 2020 / October 17, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हरे -भरे थे वन उपवन,हमनें हाय काट डाले।जैसे जल देवता के ही,हमने हाथ छाँट डाले।छीने ठौर परिंदों के,पशु फिरते होकर बेदम।नहीं बरसता इतना जल,जितनी हमको चाहत है।अति वृष्टि या सूखे से,सारा ही जग आहत है।सूरज आग उगलता है,धरा तवे सी हुई गरम।पर्यावरण बचाया तोशायद पानी बच जाये।पानी अगर बचाया तो,जीवन आगे चल जाये।पेड़ अधिक से […] Read more » पानी फेकें कम से कम