कविता फिर आ गया गणतंत्र दिवस January 26, 2014 / January 26, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment फिर आ गया गणतंत्र दिवस दिखलाने, बतलाने सुनने-सुनाने हालात, समस्यायें उपलब्धियां गिनाने। देखो… सुनो… पढ़ो… जांचो… मगर कुछ कहना मत। सच! क्योंकि सच कह दिया तो गणतंत्र दिवस का अपमान हो जाएगा। पड़ जाएगी मंद मधुर ध्वनियां ढोलों की। खुल जाएंगी गुत्थियां नेताओं की पोलों की। अपने ढोलों की पोल खोलना किसने चाहा कौन चाहेगा […] Read more » फिर आ गया गणतंत्र दिवस