कविता बड़े दिनों पर February 10, 2015 / February 10, 2015 by बलवन्त | 1 Comment on बड़े दिनों पर उम्मीदों के फूल खिले, मन की कलियाँ मुस्काईं। बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई। बड़े दिनों पर जन-जीवन में लौटी नयी रवानी, बड़े दिनों पर जनमत की ताकत सबने पहचानी, बड़े दिनों पर उद्वेलित जनता सड़कों पर आयी। बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई। बड़े दिनों पर […] Read more » बड़े दिनों पर