कविता बत्तियां गुल हैं July 16, 2021 / July 16, 2021 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment जल पड़ी ।सब और फ़ैलाने उजाला चल पड़ी ।डूबते वालों को तिनका मिल गया ।मन कमल सूखा हुआ था खिल गया। ढूंढ ली माचिस तुरत चिमनी जलाई। Read more » the lights are off बत्तियां गुल हैं