गजल एक गजल सच्चाई पर July 13, 2018 / July 13, 2018 by आर के रस्तोगी | 5 Comments on एक गजल सच्चाई पर कोई टोपी कोई पगड़ी कोई इज्जत अपनी बेच देता है मिले अच्छी रिश्वत,जज भी आज न्याय बेच देता है वैश्या फिर भी अच्छी है उसकी हद है अपने कोठे तक पुलिस वाला तो बीच चौराहे पर अपनी वर्दी बेच देता है जला दी जाती है,अक्सर बिटिया सुसराल में बेरहमी से जिस बेटी के खातिर बाप […] Read more » अस्तपताल एक गजल सच्चाई पर कोई टोपी कोई पगड़ी पुलिस बेनाम शहीदों