कविता बैठ कुऐं की मुंडेर पे November 8, 2010 / December 20, 2011 by संजय कुमार फरवाहा | 3 Comments on बैठ कुऐं की मुंडेर पे सहेली आ बैठ मेरे पास मनं की दो बातें कर लूँ फीर भर के घड़ा पानी का अपने घर को चल दूँ सहेली आ बैठ मेरे पास मनं की दो बातें कर लूँ फीर भर के घड़ा पानी का अपने घर को चल दूँ सुबह से सोच रही थी कब , भरने पानी मैं जाऊं […] Read more » Sit बैठ