सिनेमा ‘बोल’ में क्या बोल? September 11, 2011 / December 6, 2011 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मनोज चतुर्वेदी अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फिल्मकार शोएब मंसूर ने ‘खुदा के लिए’ के बाद ‘बोल’ में एक ऐसी औरत की जिंदगी के पक्ष को उभारने का प्रयास किया है जो पुरूषवादी मानसिकता का शिकार हो जाती है। नारी मात्र देह नहीं है वह भोग्या नहीं है पर ऐसा देखने को मिलता है कि पुरूषवादी सामंती […] Read more » Bol बोल