कविता भारती का भाल October 10, 2013 by अनिल सैनी ‘अनि’ | 3 Comments on भारती का भाल भारती के भाल को लज्जा रहा है देश क्यों ? बेटों के शिश मुण्ड को देख कर भी चुप है क्यों ? क्यों मुख अब रक्तलाल नहीं, क्या वीरों के रक्त में उबाल नहीं ? क्यों बार-बार विवश है हम, क्या हम में स्वाभिमान नहीं ? अब छोड दो खुला इन रणबाकुरों कों, इन्हे मदमस्त […] Read more » भारती का भाल -