विधि-कानून भारत में न्यायिक सुधार की संभावनाएं और चुनौतियाँ January 29, 2012 / January 29, 2012 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | Leave a Comment मनीराम शर्मा हमारे न्यायालयों और वकीलों के मध्य बहुत सी बातें अस्वस्थ परंपरा के रूप में प्रचलित हैं। किन्तु इन सबका एक ही मूल कारण है, वह यह है कि न्यायिक निकाय स्वविनियमित है। स्वविनियमन वास्तव में कार्य नहीं करता है। इसका समाधान वकीलों एवं न्यायाधीशों का मात्र बाहरी विनियमन है। प्रत्येक अन्य पेशे, जैसे […] Read more » challenges of law improvement भारत में न्यायिक सुधार की संभावनाएं