कविता भूख न मिटती पैसे की October 5, 2012 / October 5, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment चकाचौंध चकाचौंध है, चकाचौंध है पैसे की| किसी तरह से पैसा आये, चाहे आये जैसे भी| पैसे की दुनियाँ दीवानी, पैसे के सब मीत यहाँ| बिना दाम के कॊई न पूँछे, पूँछ है केवल पैसे की| पैसे से इज्जत मिलती है’ पैसे से मिलता सम्मान| इस कारण से ही तो सबको, भूख है […] Read more » भूख न मिटती पैसे की