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Tag: भ्रष्टाचारी-जी की आरती

व्यंग्य

भ्रष्टाचारी-जी की आरती

April 2, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment

तेरी हर रोज विजय होवे हे भ्रष्ट तुम्हारी जै होवे| दिन दूनी रात चौगुनी अब ये रिश्वत बढ़ती जाती है नेता अफसर बाबू की तिकड़ी मिलजुलकर ही खाती है धोती कुरता टोपी वाले जब नेताजी बन जाते हैं ये बिना किसी डर दहशत के ये रिश्वत लप-लप खाते हैं खाने पीने में हर नेता संपूर्ण […]

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भ्रष्टाचारी-जी की आरती
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