कविता
बाप धूप में,माँ चूल्हे में रोज जलती है,
/ by आर के रस्तोगी
बाप धूप में,माँ चूल्हे में रोज जलती है,तब कहीं औलाद मुश्किल से पलती है | बड़े होकर कहे,क्या किया है तुमने हमारा ,यही बात माँ बाप को हमेशा खलती है | करते है काम माँ बाप सुबह से शाम,तब कही गृहस्थी की रोटी चलती है | हो जाती हैअलगऔलाद शादी के बाद,यही बात तो माँ […]
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