व्यंग्य महाअनादरणीयः माननीय December 23, 2011 / December 23, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव सिर्फ आदमी का ही मुकद्दर नहीं होता। आदमी की मुकद्दर की इबारत लिखनेलाले लफ्जों का भी मुकद्दर होता है। कल तक जो शब्द हमारी जिंदगी के अभयारण्य में शेर की तरकह दहाड़ा करते थे आज वक्त के म्यूजियम में मसाला भरे शेरों की तरह वह खड़े और पड़े हुए हैं। बड़े-तो-बड़े जिन्हें […] Read more » Satire suresh neerav महाअनादरणीय माननीय