कविता व्यंग्य मिक्सिंग और फिक्सिंग March 27, 2014 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on मिक्सिंग और फिक्सिंग -मिलन सिन्हा- उसने पहले ढंग से जाना गेम का सब ट्रिक्स फिर मैच को अच्छे से किया फिक्स जब शोर हुआ तब राजनीति से किया उसे मिक्स पकड़ा गया फिर भी शर्म नहीं किसी बात का कोई गम नहीं क्योंकि उसे मालूम है यहां मैच को करके मिक्स और फिक्स कैसे मारा जाता है सिक्स […] Read more » satire poem on match fixing मिक्सिंग और फिक्सिंग