व्यंग्य सेल ! सेल ! पर एक गजल September 15, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on सेल ! सेल ! पर एक गजल सेल लगाकर दुकानदार,ग्राहकों को आकर्षित करते अधिक है जब ग्राहक दुकान में घुस जाये,उसकी जेब काटते अधिक है देते है जो डिस्काउंट,चीजो की प्राइस बताते अधिक है इस तरह दुकानदार ग्राहकों का,ऊल्लू बनाते अधिक है लालच करना बुरी बला है,उसमे ग्राहक फसते अधिक है जो फस जाते है उसमे,बाद में पछताते बहुत अधिक है सेल […] Read more » दुकानदार ग्राहकों लालच सेल ! सेल ! पर एक गजल