कविता
दो लघु कविताएं : सोउंगा न अब
/ by पन्नालाल शर्मा
सोउंगा न अब गहराता जा रहा था मन, मन में लिए लग्न, आंखों में चमक, पथ सूझ नहीं रहा था तब, क्योंकि, छप्पर था तंग । शांत है मन,लग्न वही, चमक वही , पथ दिख रहा है स्पष्ट, अब नहीं कोई कष्ट । फिर भी… रात हो या दिन, है मन में, वही उमंग, वही […]
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