गजल प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला May 18, 2011 / December 13, 2011 by सत्येन्द्र गुप्ता | 3 Comments on प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला सबकुछ लुटा दे ऐसा दानवीर न मिला। जिसे दरम चाहिए न चाहिए दीनार ऐसा कोई मौला या फकीर न मिला। अपनी फकीरी में ही मस्त रहता हो फिर ऐसा कोई संत कबीर न मिला। प्यार के किस्से सारे पुराने हो चले अब रांझा ढूंढता अपनी हीर न मिला। […] Read more » प्यादे बहुत मिले वज़ीर न मिला