कविता साहित्य
सोना हो चाहत अगर
by श्यामल सुमन
सोना हो चाहत अगर, सोना हुआ मुहाल। दोनो सोना कब मिले, पूछे सुमन सवाल।। खर्च करोगे कुछ सुमन, घटे सदा परिमाण। ज्ञान, प्रेम बढ़ते सदा, बाँटो, देख प्रमाण।। अलग प्रेम से कुछ नहीं, प्रेम जगत आधार। देख सुमन ये क्या हुआ, बना प्रेम बाजार। प्रेम त्याग अपनत्व से, जीवन हो अभिराम। बनने से पहले लगे, […]
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