दोहे साहित्य सौन्दर्य वर्णन July 5, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment कृष्ण मेघ से कृष्णता, ले केशों में डाल | उठा दूज का चाँद ज्यों, रचा विधाता भाल | खिची कमान भोंहें रची, पलक सितारे डाल | नयन कटीले रख दिए, मृग से नयन निकाल | तीखी, सीधी और खड़ी, रची विधाता नाक | रक्तवर्ण, रस से भरे, रचे होंठ रस-पाक | चिबुक अनारों से रचे […] Read more » सौन्दर्य वर्णन