कविता ज़िन्दगी का रंग May 28, 2018 by पंखुरी सिन्हा | Leave a Comment पंखुरी सिन्हा बिना उसका नाम लिए बिना कहे वह शब्द क्योंकि इतना बड़ा है जीवन किसी भी भाषा की अभिव्यक्ति से जगमगा जाता है अक्सर किसी रंग की आहट टिमटिमाहट में जबकि रंग उजास में हैं और उसके बाहर के अँधेरे में भी जीवन लेकिन, एक रंग तो होता ही है ज़िन्दगी का मौत […] Read more » गंदला गन्दुमा चला आता है ज़िन्दगी का रंग दस्तक देता मारा मारी स्याह